नई दिल्ली। कश्मीर के छात्रों के एक समूह ने कहा कि घाटी में हर युवक बंदूक नहीं उठाना चाहता और ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो भारत से अलग होने के पक्ष में हैं।
अपने गृह राज्य से बाहर पढ़ रहे छात्रों ने आठ जुलाई को एक मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में जारी अशांति के बारे में अपने विचार साझा किए।
मुंबई प्रेस क्लब ने ‘सरहद’ संगठन के साथ मिलकर छह छात्रों के समूह को आमंत्रित किया था। ये छात्र पिछले 13 वर्षों से पुणे में रह रहे हैं। स्नातक की पढ़ाई कर रहे जावेद अहमद ने कहा कि ‘हर कश्मीरी बुरहान वानी नहीं है।
छात्र ने कहा कि शायद उनमें से केवल 10 प्रतिशत लोग ‘आजादी’ चाहते हैं। शेष 90 प्रतिशत लोग विकास, रोजगार, बच्चों के लिए शिक्षा, औद्योगीकरण चाहते हैं। दुर्भाग्यवश, इनमें से कोई चीज नहीं हुई जिसके कारण वहां अशांति है।’