नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में करीब दो महीने से जारी हिंसा और तनाव के बीच पैलेट गन के इस्तेमाल पर कई सवाल उठ रहे हैं। पैलेट गन की वजह से सैकड़ों लोगों की आंखों की रोशनी चली गई, जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की नीति और इरादों पर काफी सवाल उठे।
विपक्ष ने संसद से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक से पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक की मांग की, जिसके बाद गृह मंत्रालय का एक एक्सपर्ट पैनल पैलेट गन की जगह ‘पावा शेल्स’ यानी मिर्ची के गोले के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है।
इन गोलों को भीड़ पर दागे जाने से लोग कुछ मिनटों के लिए एकदम अचेत हो जाते हैं और कुछ कर नहीं पाते। इसमें टारगेट को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि इस पर अभी अंतिम फ़ैसला नहीं हुआ है। जल्द ही यह पैनल अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। गौरतलब है कि दो दिनों के जम्मू-कश्मीर दौरे से लौटे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पैलेट गन का विकल्प जल्द ही तलाशने की बात कही है।
मिर्ची के गोले का कितना होता है असर
पावा शेल यानि मिर्ची का गोला, जिससे टारगेट कुछ देर के लिए अचेत हो जाता है
थोड़ी देर तक वह कोई भी गतिविधि नहीं कर पाता
पैलेट गन के मुकाबले बहुत कम नुकसान
जवानों के लिए एक खास तरह की ड्रेस भी
विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कभी-कभार ऐसी नौबत आ जाती है कि प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों के बिल्कुल पास आ जाते हैं और गुत्थम-गुत्था वाली स्थिति बन जाती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जवानों के लिए एक ख़ास तरह की ड्रेस है। उनके पास इलेक्ट्रिक रॉड और इलेक्ट्रिक शील्ड जैसे पूरी तरह से आधुनिक हथियार होते हैं, जिनसे करंट निकलता है, जो प्रदर्शनकारियों को दूर रखने में कारगर साबित होते हैं।