यूपी में सीएम योगी के तेवर हुए सख्त दिखाई दे रहे हैं। अखिलेश सरकार के दौरान कई विभागों में मिली नौकरी कैंसिल होने की पूरी सम्भावनाएं नजर आ रही हैं। दरअसल सीएम यूपी में सरकारी नौकरियां खतरे में हैं। आरोप है कि पूर्व सरकार में नियमों को ताक पर रख नौकरियां बांटी गईं। इसलिए अखिलेश सरकार के दौरान हुई भर्तियों में कई विभागों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
इंडिया संवाद की खबर के मुताबिक़ बेसिक शिक्षा विभाग में 2.37 लाख शिक्षकों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। इतना ही नहीं अखिलेश-मायावती शासनकाल की दरोगा-सिपाही भर्ती भी निरस्त हो सकती है। सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने 23 तरह की भर्तियों पर रोक लगा दी है। इसमें से 22 भर्ती उच्च शिक्षा में सहायक प्रोफेसर से जुड़ी हुई हैं। प्रक्रिया के तहत करीब चार हजार से अधिक पदों पर भर्ती होनी है। वहीं बेसिक शिक्षक विभाग में 48 हजार पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया गया है। इस प्रक्रिया में अनुदेशकों के पद भी शामिल हैं। बेशक सीएम बेसिक शिक्षा विभाग में 48 हजार पदों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा चुके हैं। लेकिन 2.37 लाख शिक्षक पदों पर भी खतरा मंडरा रहा है।जानकारों की मानें तो 1.65 शिक्षकों के वो पद हैं जिन पर शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया है। शिक्षा का अधिकार एक्ट को किनारे कर बिना टीईटी पास शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर नियुक्ति दे दी गई है।
दूसरी तरफ वर्ष 2011 में 72 हजार शिक्षक पदों पर हुई शिक्षकों की नियुक्ति पहले से ही विवादों में चल रही है। आरोप है कि शिक्षकों के टीईटी परीक्षा परिणाम में छेड़छाड़ की गई है। इस संबंध में शिक्षा निदेशक को जेल भी हुई थी। कई बार परीक्षा परिणाम बदला भी गया था। लेकिन अभी तक मामले में निपटारा नहीं हो पाया है।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ हाल के पांच वर्षों में सरकारी महकमों पर काबिज हुए लोगों पर जांच बिठा सकते हैं। और अगर जांच में गड़बड़ी की बात सामने आई तो उनपर गाज गिरना भी लाजमी है।
ऐसे में सपा नेता आजम खान ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि अगर आप में हिम्मत है तो करके दिखाओ, आपकी हिम्मत नहीं कि आप एक कॉस्टेबल को भी उसके पद से हटा सकें, यही नहीं आजम खान ने ये भी दावा किया है कि सपा सरकार के दौरान पूरी तरह निष्पक्ष भर्तियां की गई हैं।