
स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा कि बुधवार को घना कोहरा छाया। हवा में नमी का स्तर बढ़ गया। हवा भी कम रफ्तार से चली। इन दोनों वजहों से हवा के प्रदूषित कण कोहरे में मौजूद नमी के साथ मिल गए। यह एक ही जगह पर ठहर गए। जिसके कारण पॉल्यूशन ज्यादा दर्ज हुआ है।
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस सीजन में पल्यूशन का स्तर नॉर्मल से ज्यादा ही रहने वाला है। कोहरा छाने के बाद और हवा कम चलने के कारण कोहरे की नमी प्रदूषित कणों से मिल जाती है। यह एनवायरनमेंट में स्मॉग फैला देते हैं। आने वाले दिनों में मौसम का ऐसा पैटर्न बनने की आशंका है। द एनर्जी रिसोर्सेज एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) के फैलो सुमित शर्मा ने कहा एयर क्वॉलिटी के खराब और बेहतर होने की वजह मौसम की बदलती परिस्थितियों पर काफी निर्भर करता है।
बुधवार को हवा कम रफ्तार से चली। जिसके कारण एनवायरनमेंट में मौजूद प्रदूषित कण आगे मूव नहीं हो पाए। इसकी वजह से ज्यादा पॉल्यूशन लेवल दर्ज हुआ है। पल्यूशन के प्रभाव को कम करने के लिए कई तरह के कदम क्षेत्रीय स्तर पर उठाने चाहिए। दिल्ली में कंजेशन प्राइसिंग को लागू करने की जरूरत है। लैंडफिल साइट पर वेस्ट का सही तरह से मैनेजमेंट होना चाहिए। लैंडफिल साइट में हो रही बर्निंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए। प्रोजेक्ट सफर के सभी पल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशनों में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषित कणों का स्तर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में नॉर्मल से बेहद ज्यादा दर्ज हुआ है।
पॉल्यूशन मीटर
आनंद विहार – 442
डीटीयू – 433
शादीपुर – 457
दिलशाद गार्डन – 401
मंदिर मार्ग – 392
आरकेपुरम – 359
द्वारका – 355































































