राम मंदिर एक बार फिर बीजेपी के एजेंडा में वापस आ गया है। हर बार राम मंदिर का मुद्दा उठता जरुर है, लेकिन हमेशा बहस के बाद खत्म हो जाता है। लेकिन हमेशा इस पर विवाद बना रहता है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए या नहीं। अयोध्या में राम मंदिर बनने से पहले मुंबई में राम मंदिर किया गया निर्माण। ये राम मंदिर कोई मंदिर नहीं बल्कि एक रेलवे स्टेशन है। ओशिवारा इलाके के लोकल रेलवे स्टेशन का राम मंदिर स्टेशन रख दिया गया है।
हालांकि स्टेशन को राम मंदिर का नाम देने पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इसका विरोध करने वालों का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुंबई में लोकल रेलवे स्टेशन का नाम राम मंदिर रखना बीजेपी का चुनावी स्टंट है। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव से पहले बीजेपी ने ये चाल चली है ताकि इलाके में रहने वाले उत्तर भारतीय वोटरों को लुभाया जा सके।
इस पर बीजेपी की दलील है कि रेलवे स्टेशन के बाहर बने राम मंदिर के नाम पर ही स्टेशन का नाम रखा गया है। विधायक और राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री विद्या ठाकुर का कहना है कि इसमें राजनीतिक मुद्दा कुछ है ही नहीं, क्योंकि स्टेशन का नाम कुछ ना कुछ रखना ही था। स्थानीय लोगों की मांग पर इस स्टेशन का नाम राम मंदिर रखा गया है।
वहीं, बीएमसी चुनाव से ठीक पहले रेलवे स्टेशन के नामकरण पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने ऐतराज जताया है और इसे वोटबैंक की राजनीति बताया। शिवसेना का आरोप है कि बीजेपी ने उनके प्रयासों का श्रेय लिया है।