बीएचयू में तो सवाल अब ये उठने लगे हैं कि एक तरफ पीएम मोदी लैंगिक समानता की बात करते हुए बेटी बचाओ और बेटी पढाओं का नारा दे रहीं हैं तो वहीं RSS और BJP की विचारधारा पर चल रहे BHU में लैंगिक विभेद करके देखा जा रहा हैं। दूसरे छात्र संगठन तो यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि मौजूदा BHU प्रशासन उनको फर्जी मुकदमों में फंसा रहा है, क्योंकि उन्होंने 24 घण्टे लाइब्रेरी की मांग की थी।
छात्राओं पर लगे तमाम प्रतिबंध के बारे में जब मीडिया ने सवाल किया तो BHU के कुलपति साहब तिलमिला गए। उल्टा पत्रकारों से ही पूछ बैठे कि आपकी बेटी और बहन रात में घूमें तो आपको कैसा लगेगा? क्या आप उसकी इजाजत देंगे? छात्राओं पर लगे अन्य प्रतिबंध के संबंधित सवाल पर वीसी साहब मुकर भी गए।
स्थापना दिवस बीएचयू में आरएसएस का पथसंचलन, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदिप पाण्डेय को बीएचयू की ओर बाहर का रास्ता दिखाया जाना और दुसरे छात्र संगठनों वाले छात्रों पर मुकदमा और अब छात्राओं की सुरक्षा के नाम पर तमाम पाबंदियां। समय समय पर जेएनयू जैसे शिक्षण संस्था पर एक खास विचारधारा के आरोप लगते आए हैं तो अब BHU आरोपों से कैसे बच सकता है?
अगले पेज पर वीडियो में देखिये इस मामले पर BHU के कुलपति का क्या कहना है।