बताया जाता है कि बच्चों और रिश्तेदारों को टिकट देने, 70 साल के उम्मीदवारों को खड़ा करने और पार्टी के लिए लंबे समय से काम कर रहे कार्यकर्ताओं के बजाय बाहरियों को टिकट देने से आरएसएस नेताओं में नाराजगी है। टिकट वितरण से नाराज कुछ आरएसएस नेताओं की जगह लेने के लिए लखनऊ से एक पूर्व प्रचारक को वाराणसी बुलाया गया है। हालांकि वाराणसी में भाजपा विरोधी मतों के एकजुट होने की खबरें सामने आने के बाद आरएसएस की गतिविधियां बढ़ गई हैं।
वहीं वाराणसी में मौजूद भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री ने बताया, “यह चुनाव अब लोगों के हाथों में पहुंच चुका है। सभी मोदी का नाम ले रहे हैं। आरएसएस के लोग कम काम करने के बावजूद भाजपा की जीत में क्रेडिट ले सकते हैं।” गोरखपुर के एक आरएसएस नेता इसी बीच एक अलग तरह की समस्या का जिक्र करते है। उन्होंने बताया, “आजकल सबकुछ राजनीतिक हो गया है। जब हम स्वयंसेवकों से बीजेपी के लिए काम करने को कहते हैं तो वे इसकी भाजपाइयों से तुलना करते हैं। कर्इ स्वयंसेवक अब राजनीतिक काम के लिए पैसों की उम्मीद रखते हैं।”































































