अखिलेश की नहीं चली, मुख्तार की पार्टी का सपा में विलय

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कहानी शुरू हुई एमएलसी व राज्यसभा चुनाव से जब आठवां प्रत्याशी जिताने के लिए सपा ने कौएद के विधायकों का समर्थन लिया और फिर 21 जून को अचानक शिवपाल ने कौएद के सपा में विलय का एलान कर दिया। अफजाल ने उसकी तस्दीक कर साइकिल को अपना चुनाव निशान बताया, मगर मुख्यमंत्री को यह फैसला रास नहीं आया तो उन्होंने खुलकर विरोध किया। 12 सितंबर से समाजवादी परिवार में संग्राम शुरू हुआ तो अखिलेश-शिवपाल में मतभेदों का एक बिंदु विलय रद कराना भी रहा। संग्राम थामने को मुलायम ने जो फार्मूला बनाया, उसमें कौएद के विलय की नई राह तलाशने की बात थी। गुरुवार को शिवपाल का इशारा इसी मुलायम फार्मूले की तरफ था। विलय के संकेत तो मिलते रहे, मगर अब तक कोई घोषणा नहीं हुई। छह अक्टूबर को हन्नान के सपा में शामिल होने की घोषणा के दौरान शिवपाल से कौएद पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-‘अरे, आपको पता नहीं, नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने जब फैसला ले लिया तो विलय हो गया।’

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पूर्व मंत्री अब्दुल हन्नान ने अपने भाई व पूर्व एमएलसी अब्दुल हन्नान के साथ समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। हालांकि, बसपा ने कुछ माह पहले उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। शिवपाल यादव ने दोनों भाइयों के सपा में शामिल होने का एलान किया। इस मौके पर राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने कहा कि वह अब हरदोई की सभी सीटें जीतकर सपा के खाते में डालेंगे।

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Mukhtar ansari kaumi ekta dal, shivpal yadav, mulayam yadav uttar perades election

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