दिल्ली:
सारदा घोटाले के आरोपी और तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा को विशेष अदालत ने गिरफ्तारी के करीब 21 महीने बाद आज जमानत दे दी।
न्यायाधीश उत्तम कुमार नंदी ने राज्य के पूर्व परिवहन मंत्री को 15.. 15 लाख रूपये के दो मुचलके पर जमानत दी।
अदालत ने उन्हें 23 नवम्बर को पेश होने को कहा। अदालत ने मित्रा को यह भी निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट सीबीआई के पास जमा करा दें और हफ्ते में एक बार सीबीआई के जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हों। उन्हें कोलकाता से बाहर नहीं जाने का भी निर्देश दिया गया।
मित्रा के वकील ने एक दिन पहले अदालत के समक्ष कहा था कि तृणमूल कांग्रेस के नेता अब प्रभावशाली व्यक्ति नहीं है क्योंकि वह न तो मंत्री हैं और न ही पार्टी में किसी पद पर हैं।
मित्रा के वकील ने यह भी दावा किया कि सीबीआई जांच में विलम्ब कर रही है और जमानत नहीं दिए जाने का कोई कारण नहीं है।
बहरहाल सीबीआई के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जांच एजेंसी सारदा घोटाले में महत्वपूर्ण चरण में है और मित्रा को जमानत देने से जांच बाधित होगी क्योंकि पूर्व मंत्री अब भी काफी प्रभावशाली हैं और मामले में मुख्य गवाहों तक अब भी उनकी पहुंच है।
इस बीच पार्टी ने उनकी रिहाई का स्वागत किया है। पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि वे खुश हैं और पार्टी हमेशा उनके साथ खड़ी है।
चटर्जी ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम आश्चर्यचकित हैं कि एक सामाजिक कार्यकर्ता :मदन मित्रा: इतना समय जेल में रहे, जबकि हत्या के आरोपी को तीन महीने के अंदर जमानत मिल जाती है।’’ चटर्जी ने कहा, ‘‘बहरहाल हम खुश हैं कि आज उन्हें जमानत मिल गई। पार्टी हमेशा मदन मित्रा के साथ है।’’