नीतीश चाहे तो शहाबुद्दीन अभी भी पांच मिनट के अंदर जेल जा सकता है। नीतीश को करना सिर्फ़ ये है कि शहाबुद्दीन पर क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) लगा देना है। लेकिन नीतीश ऐसा नहीं कर सकते क्यों वो मजबूर हैं।सूत्रों की मानें तो फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं हैं।मामला फंसा हुआ हो तो हर मंजा नेता कानून की ही दुहाई देता है, लेकिन बीजेपी इस मौके को यूं ही हाथ से जाने देने के मूड में नहीं हैं। महागठबंधन का एक दल हाथ जोड़कर दूसरे दल को गठबंधन धर्म निभाने की नसीहत दे रहा है। मामला यहीं नहीं थमा, रघुवंश प्रसाद के मुद्दे पर तो जेडीयू को तो बीजेपी भी याद आने लगी है।
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नीतीश और बीजेपी की दोस्ती फिलहाल दूर की कौड़ी लग रही है लेकिन शहाबुद्दीन जिस अंदाज में नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर रहा है, उसके बाद से कई सवाल फिजां में तेजी से तैर रहे हैं। जेल से बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने लगातार दो दिन नीतीश कुमार पर हमला क्यों किया? क्या शहाबुद्दीन ने अपनी मर्जी से नीतीश कुमार को मधु कोड़ा जैसा नेता बता दिया ? पहले शहाबुद्दीन ने नीतीश कुमार को परिस्थितिजन्य मुख्यमंत्री कहा, उसके तुरंत बाद यही बात रघुवंश प्रसाद ने क्यों कही?
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