योगी सरकार में शिक्षामित्रों का भविष्य खतरे में, जा सकती हैं पौने दो लाख नौकरियां

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शिक्षामित्रों

शिक्षा मित्रों पर एक बार फिर संकट का बादल मंडराने लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि उत्तर प्रदेश में स्कूलों में कार्यरत पौने दो लाख शिक्षामित्रों को हटाकर उन्हें नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट मुताबिक नई भर्ती होने तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक शिक्षामित्रों को कार्य करने दिया जाएगा और जैसे ही नई भर्ती संपन्न होगी उन्हें उससे बदल दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यूपी में शिक्षण कार्य कर रहे पौने दो लाख शिक्षामित्रों को हटाकर उन्हें नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि नई भर्ती होने तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक शिक्षामित्रों को कार्य करने दिया जाएगा और जैसे ही नई भर्ती संपन्न होगी उन्हें उससे बदल दिया जाएगा।

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जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को ये टिप्पणियां तब की जब यूपी के एएजी अजय कुमार मिश्रा और नलिन कोहली ने कहा कि यदि सर्वोच्च अदालत हाईकोर्ट के फैसले को कोर्ट सही मान रही है तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन हम 22 सालों से काम कर रहे पौने दो लाख लोगों का क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान हम बताएंगे।

पीठ ने कहा कि आप छह माह के अंदर नई भर्ती कीजिए। इस भर्ती को दिसंबर तक पूरा कीजिए। ऑनलाइन आवदेन सिस्टम से यह संभव है। इसके बाद अगले वर्ष मार्च तक नियुक्तियां कीजिए। तब तक शिक्षामित्रों को अध्यापन करने दीजिए। उन्हें इस भर्ती में बैठने का पूरा अधिकार होगा, उनके लिए उम्रसीमा का बंधन नहीं होगा, क्योंकि वह पहले से पढ़ा रहे हैं। जहां तक उन्हें दी जाने वाली वरिष्ठता का सवाल है तो यूपी सरकार नियम बनाकर उसे तय कर सकती है। इसमें कोई समस्या नहीं है।

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कोर्ट ने नियुक्तियां को बताया असंवैधानिक
कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां संवैधानिक के खिलाफ हैं क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो। पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।

पढ़िए कब क्या हुआ?

– प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को यह समायोजन रद्द कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद लगभग 32 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन भी रोक दिया गया था।

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– 6 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश पर स्टे दिया

– 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी बीएड, टीईटी बीटीसी व शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए अलग- अलग डेट का निर्धारण किया

– टीईटी बीटीसी व टीईटी बीएड के मामलों की सुनवाई के लिए 9 मई की डेट निर्धारित की

– शिक्षामित्रों के समायोजन में टीईटी की अनिवार्यता के मुद्दे पर 11 जुलाई की तिथि तय की गई। सुप्रीम कोर्ट में अभी भी शिक्षामित्र मामले में सुनवाई जारी है।