तमिलनाडु में नहीं होगा जल्लीकट्टू, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

0
तमिलनाडु
Prev1 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse

तमिलनाडु में पोंगल से पहले जल्लीकट्टू पर्व पर लगे बैन को हटाने के मामले में दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आदेश का ड्राफ्ट तैयार है, लेकिन शनिवार से पहले फैसला सुनना संभव ही नहीं है। शनिवार 14 जनवरी को ही तमिलनाडु में पोंगल मनाया जाएगा, जिसमें जल्लीकट्टू खेल भी होता है, जिसमें सांडों को काबू किया जाता है। शीर्ष अदालत ने सबसे पहले साल 2014 में इस खेल पर यह कहते हुए बैन लगाया था कि यह जानवरों के प्रति क्रूरता है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लगाई गई राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए अपना आदेश बरकरार रखा था।

इसे भी पढ़िए :  एक और 'आप' विधायक महिला से बदसलूकी के आरोप में गिरफ्तार

वहीं सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके ने कहा कि मुख्यमंत्री इस बारे में एक्शन लेंगे। पार्टी नेता सीआर सरस्वती ने कहा कि अम्मा (जयललिता) को जल्लीकट्टू बहुत पसंद था। हम केंद्र सरकार से इस मामले में समर्थन की मांग करते हैं। दूसरी ओर पुलिस ने कुडल्लोर में जल्लीकट्टू के आयोजन को विफल कर दिया। एआईएडीएमके की जनरल सेक्रेटरी वीके शशिकला ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस खेल के आयोजन के लिए एक अध्यादेश लाने को कहा, ताकि इस खेल का आयोजन हो सके।

इसे भी पढ़िए :  शिमला : 2 साल से पीते रहे लाश वाले टैंक का पानी

मोदी के लिखे खत में शशिकला ने कहा कि जानवरों के प्रति कोई क्रूरता नहीं होगी। तमिलनाडु में सांडों को भगवान के तौर पर पूजा जाता है। जो युवा उन्हें काबू करते हैं वह ध्यान रखते हैं कि सांडों को कोई दर्द न हो। शशिकला से पहले राज्य के मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेलवम भी पीएम मोदी से यही दरख्वास्त लगा चुके हैं। शशिकला ने कहा कि जल्लीकट्टू पर बैन से राज्य के लोग काफी नाराज हैं खासकर युवा। इससे बैन हटाने की हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए।

इसे भी पढ़िए :  रावण, कुंभकर्ण को हुआ डेंगू, अब कैसे होगी रामलीला

अगले पेज पर पढ़िए – क्या है जल्लीकट्टू और कब हुई इसकी शुरूआत ?

Prev1 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse