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माना जाता है कि सिंधु सभ्यता के वक्त जो अय्यर और यादव लोग तमिल में रहते थे उनके लिए सांड पालना आम बात थी। बाद में यह साहस और बल दिखाने वाली बात बन गई। बाद में बैल को काबू करने वाले को इनाम और सम्मान दिया जाने लगा। किसी सांड को काबू करने की प्रथा लगभग 2,500 साल पुरानी कही जा सकती है।
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