आरोपों के मुताबिक तीस्ता को दान के तौर पर 9.75 करोड़ रुपए मिले थे जिनमें से 3.85 करोड़ रुपए का इस्तेमाल उन्होंने निजी तौर पर किया था। यह रकम उनकी एनजीओ को राज्य में वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान दंगा पीडि़तों को राहत प्रदान करने के नाम पर मिली थी। इस बाबत दंगों केे शिकार और गुलबर्गा सोसायटी में रहने वाले दंपत्ति ने उनके खिलाफ मामला दायर किया था। अपनी शिकायत में उन्होंने तीस्ता पर दंगा पीड़ितों को राहत न पहुंचाने और वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया गया था।
इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता और उनके पति की अग्रिम जमानत याचिका को ठुकरा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए आदेश दिया था कि वह पुलिस को सभी जरूरी दस्तावेज मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें जांच में जरूरत है। वहीं तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद ने पुलिस पर उन्हें उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था।