गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात का दावा किया है कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति ने 2002 दंगा पीड़ितों की मदद के लिए अपने एनजीओ को मिले 9.75 करोड़ रुपयों में से 3.85 करोड़ रुपये निजी कार्यों में खर्च किए। और इस बात के दस्तावेजी प्रमाण होने की भी बात कही है। अपने 83 पन्नों के ऐफिडेविट में एसीपी राहुल पटेल ने कोर्ट को विस्तार से बताया कि सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के साथ-साथ उनके ट्रस्टों सेंटर फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) और सबरंग ने शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने में बिल्कुल मदद नहीं की। ऐफिडेविट में कहा गया है कि पुलिस ने गुलबर्ग सोसायटी के दंगा पीड़ितों की उन शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मांगे थे जिनमें सीतलवाड़ और उनके पति पर आरोप लगाया गया था कि उनके पास चंदे की राशि जमा हो गई तो दोनों वादे के मुताबिक दंगा पीड़ितों को मदद से मुकर गए।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि मुंबई के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में तीस्ता और आनंद का बैंक अकाउंट है। उनके मुताबिक 1 जनवरी 2001 से लेकर 31 दिसंबर 2002 के बीच इनमें से एक अकांउट में कोई पैसा जमा नहीं किया गया था। जनवरी 2013 से लेकर दिसबंर तक इस अकाउंट में आनंद ने 96.43 लाख रुपए जमा करवाए थे। इसके बाद सीतलवाड़ ने अपने अकाउंट में करीब 1.53 करोड़ रुपए जमा करवाए थे। गौरतलब हैै कि तीस्ता पर उनकी एनजीओ सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस और सबरंग को मिली दान की राशि का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है।
अगली स्लाइड में पढ़ें खबर का बाकी अंश