कांग्रेस यूपी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सवर्णों को चुनावी मैदान में उतारने का मन बना रही है। शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद कांग्रेस ने तय किया है कि 150 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा, जिनमें ब्राह्मण उम्मीदवारों की संख्या लगभग सौ होगी। कांग्रेस नें कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में अपने सफल आयोजनों कर लिए है। एक कांग्रेसी नेता से बात-चीत के दौरान यह जानकारी प्राप्त हुई। कांग्रेस के चुनावी अभियान से जुड़े एक प्रमुख नेता ने बताया कि कांग्रेस के लखनऊ और कानपुर दौरों में जनता और कार्यकर्ताओं की उमड़ी जबर्दस्त भीड़ को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व का चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की योजना पर भरोसा बढ़ने लगा है।
पहले लखनऊ और कानपुर में प्रदेश कांग्रेस नेताओं के स्वागत के लिए भीड़ उमड़ी, फिर लखनऊ के रमाबाई पार्क में राहुल गांधी को सुनने बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्तापहुंचे। उसके बाद बनारस में सोनिया गांधी के रोड शो में ऐतिहासिक जन सैलाब उमड़ा।
प्रशांत किशोर ने जिस तरह ब्राह्मण और सवर्ण कार्ड खेलने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राजी किया और कांग्रेस ने 27 साल बाद पहली बार राज्य में ब्राह्मण मुख्यमंत्री का चेहरा सामने किया है, उससे राज्य में 12 फीसदी ब्राह्मण मतदाताओं के भीतर खासा उत्साह है।
पार्टी नेतृत्व कानपुर, लखनऊ और वाराणसी में जुटी भीड़ को भी इसका एक संकेत मान रहा है। भीड़ और चर्चा को वोट में कैसे बदला जाए, अब इस पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए प्रशांत किशोर कांग्रेस के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं के लगातार संपर्क में हैं। इनमें जितिन प्रसाद, राजेशपति त्रिपाठी, प्रमोद तिवारी, मोना तिवारी, राजेश मिश्रा, ललितेश त्रिपाठी, भूधर नारायण मिश्रा आदि प्रमुख हैं। इन सभी नेताओं को अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों वाले सभी जिलों में ब्राह्मणों के बीच सक्रिय होने को कहा गया है।
कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं ने ही यह सुझाव दिया है कि सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि टिकटों में भी ब्राह्मणों और सवर्णों को ज्यादा भागीदारी देनी होगी, क्योंकि 2012 में पार्टी ने पिछड़ों और अति पिछड़ों को करीब पौने दो सौ टिकट बांटे थे।
वहीं, ब्राह्मण और अन्य सवर्ण जातियों को बमुश्किल 70 से 80 टिकट ही मिले थे, जिसका नतीजा हुआ कि सवर्ण कांग्रेस से छिटक गए। इसलिए कांग्रेस इस बार टिकट बंटवारे में पिछले गणित को उलटने की रणनीति बन रही है।
बताया जाता है कि राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 150 से ज्यादा टिकट सवर्णों को देगी। इनमें सबसे ज्यादा ब्राह्मण, फिर राजपूत और फिर अन्य सवर्ण जातियों केउम्मीदवार होंगे।
इसके बाद मुस्लिम उम्मीदवारों और अति पिछड़ों को हिस्सेदारी मिलेगी, जिनमें पाल, स्वर्णकार, सविता, प्रजापति, लोहार, कुंभकार, निषाद आदि जातियों को प्रमुखता दी जाएगी। कांग्रेस नेतृत्व ने टिकट बंटवारे के इस फार्मूले पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।