यही नहीं समाजवादी पार्टी दफ्तर में काम करने वाले उन दो कर्मचारियों को पत्रकारिता की श्रेणी में यूपी का सबसे बड़ा पुरस्कार दे दिया गया, जिनका पत्रकारिता से कोई वास्ता नहीं है। अखिलेश के इस फैसले पर भी सवाल उठे। योगी ने कहा है कि गलत लोगों को पुरस्कार देकर इस सम्मान की गरिमा नहीं गिरानी चाहिए। अगर जांच में पाया गया कि पुरस्कार पाने वाले इसके हक़दार नहीं थे तो सम्मान तो अब वापस नहीं हो सकता लेकिन उनको ताउम्र मिलने वाली 50 हज़ार रुपये महीना पेंशन बंद हो सकती है।
1994 में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह द्वारा शुरू किया गया यह अवॉर्ड यूपी से ताल्लुक रखने वाले ऐसे लोगों को दिया जाता है जिन्होंने ने कला, संस्कृति, साहित्य या खेलकूद के क्षेत्र में देश के लिए नाम कमाया हो। हालांकि अमिताभ बच्चन परिवार को यह अवॉर्ड तो मिला है, लेकिन वह इसकी पेंशन नहीं लेते।