लखनऊ : यूपी के नये मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी तक राजधानी लखनऊ में एक-दो ही औचक निरीक्षण किया है। अब वह पूरे प्रदेश में औचक निरीक्षण की बात करने लगे हैं। उनकी हनक ऐसी बन गयी है कि भ्रष्ट नौकरशाह पसीना पसीना हो रहे हैं।मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्ट अधिकारियों को किनारे लगाने के संकेत भी दे दिये हैं। वह जल्दी ही जिले जिले का औचक निरीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। अभी अधिकारियों को इसलिये नहीं हटाया गया है कि उनसे विभागीय कार्यों की जानकारी ली जा रही हैं। बजट प्रक्रिया भी चल रही है। वक्त भले ही लग रहा हो, लेकिन योग्य और सख्त अधिकारियों को ही अहं पद दिये जायेंगे।
इसके अलावा योगी इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ गये हैं कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना हर साल अरबों रु की काली कमाई वाला नकल का यह धंधा चल ही नहीं सकता है। इसकी भनक पाते ही अखिलेश सरकार में भी माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार परेशानी हो गए। आरोप है कि इस काले धंधे में इन्होंने भी बहुत बढचढ कर भूमिका निभायी थी। इस सरकार में भी यह अभी इसी पद पर विराजमान हैं। अब इन जैसे दूसरे भी अधिकारियों ने अपनी सफाई में यह कहना शुरू कर दिया है कि पिछली सरकार में पंचम तल (यानी मुख्य मंत्री कार्यालय) से मिले आदेशों का पालन करना उनकी विवशता रही है।
इस संबंध में स्वयं जितेंद्र कुमार की मानें, तो उनके ही निर्देश पर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के आनलाइन परीक्षा केद्रों के निर्धारण का प्रस्ताव तैयार किया गया था। लेकिन, पंचम तल के आदेश पर ही इसे रोकने के लिये दबाव डाला गया था।
योगी सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने का सिलसिला शुरू हो रहा है। इसे लेकर चर्चित उपमुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य आये दिन दहाडते रहते हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार योजना की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने विभागीय निदेशक से पूछा है कि शासन की स्वीकृति के बिना ही पंजीरी आपूर्ति करने वाली फर्मों को 312 करोड रु का भुगतान कैसे कर दिया गया? पंजीरी के नमूने फेल होने के बाद भी कार्रवाई क्यों नही की गयी? आचार संहिता के दौरान पंजीरी वितरण करने के टेंडर करने के मामले में इतनी हडबडी क्यों की गयी? इसके अलावा, इस प्रकरण में न्याय विभाग ने भी अपनी तरफ से कई आपत्तियां लगातें हुए कई महत्वपूर्ण सवाल उठाये थे। लेकिन, वाह रे अखिलेश सरकार! उसने इसे भी नजरंदाज करते हुए टेंडर प्रक्रिया को आगे बढा दिया।
अगले पेज पर पढ़िए- करप्शन की सबसे हैरतअंगेज दास्तान