हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका मलेरिया मुक्त हो गया है। सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने इसकी घोषणा की। श्रीलंका को इस बीमारी से निपटने में सिर्फ दस साल लगे। लेकिन भारत में मलेरिया को लेकर अभी भी हालात खराब हैं। हर साल इस बीमारी के हजारों मरीज सामने आते हैं। केंद्र सरकार ने देश को मलेरिया मुक्त करने के लिए 2030 का लक्ष्य रखा है। यानी अभी में इस बीमारी से पूरी तरह छुटकारा पाने में 14 साल और लगेंगे।
श्रीलंका ने कैसे हासिल किया ये मुकाम ?
दैनिक ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक साल 1970 और 80 के दशक में श्रीलंका में मलेरिया खूब फैला। इसके बाद 90 के दशक में यहां मलेरिया के खिलाफ अभियान चलाना शुरू किया गया। दोतरफा कोशिशें की गईं। पैरासाइट को फैलने से रोका गया। साथ ही मच्छरों को भी खत्म करने के इंतजाम किए गए। मलेरिया के ज्यादा प्रकोप वाले इलाकों में मोबाइल क्लिनिक चलाई गईं।
श्रीलंका ने मलेरिया को खत्म करने के लिए कोने-कोने तक जागरूकता अभियान चलाया गया। मलेरिया के सभी केसों को पहचानकर उनका पूरी तरह इलाज किया। यह भी सुनिश्चित किया कि एक जगह केस मिलने के बाद दूसरा मरीज उस इलाके से न आए इसके लिए पूरी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बचाव कार्यक्रम चलाए। मलेरिया सर्विलांस िसस्टम को मजबूत किया गया। संदिग्ध और पीड़ित मलेरिया मरीजों के लिए परंपरागत उपचार व्यवस्था पर भी जोर दिया गया। एंटी मलेरिया की दवाइयों की पहुंच आम लोगों तक बनाई। टेस्ट आसान किये। मलेरिया के मच्छरों को मारने के लिए घरों में भी छिड़काव नीति बनाई। कहीं भी संदिग्ध केस मिलने पर उस पूरे इलाके व आसपास के इलाकों में भी छिड़काव की व्यवस्था की गयी। जिससे कोई और मलेरिया की चपेट में न आये। सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार किया गया।
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