दिल्ली
पैलेट गनो के उपयोग पर बनाई गई एक समिति ने आज कहा है कि कश्मीर में पैलेट गनों पर पूरी तरह से रोक नही लगाई जाएगी। हालांकि इसका प्रयोग सेना तब करेगी जब स्थिति एकदम से नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। कश्मीर घाटी में पिछले दिनों हुए विरोध प्रदर्शनों में कई युवाओं की आंखों की रोशनी चले जाने की शिकायतें मिलने के बाद इस समिति का गठन किया गया था।
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव टी वी एस एन प्रसाद की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने आज अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने मिर्च भरे ग्रेनेडों और ‘स्टन लैक’ गोलों के इस्तेमाल का सुझाव दिया ताकि भीड़ पर काबू पाया जा सके ।
बहरहाल, पेलेट गनों पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाई जाएगी और ‘‘दुर्लभतम मामलों’’ में इनका इस्तेमाल किया जाएगा ।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि गैर-जानलेवा हथियारों के तौर पर पेलेट गनों के संभावित विकल्प तलाशने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को सौंप दी है ।
बहरहाल, प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि विशेषज्ञ समिति किन निष्कर्षों पर पहुंची है ।
सूत्रों ने कहा कि नोनिवामाइड के नाम से भी जाना जाने वाला पेलारगोनिक एसिड वैनिलिल एमाइड :पावा: और ‘स्टन लैक’ गोले जैसे गैर-जानलेवा हथियारों और लॉंग रेंज अकाउस्टिक डिवाइस :लार्ड: को पेलेट गनों के संभावित विकल्प के तौर पर सुझाया गया है ।
बहरहाल, लार्ड का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में किया जा सकता है क्योंकि यह श्रीनगर की पुरानी इमारतों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ।
एक अधिकारी ने कहा कि पेलेट गन से फायरिंग करने का विकल्प कायम रहेगा, लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ दुर्लभतम मामलों में किया जाएगा ।
सुरक्षा बलों से गहन विचार-विमर्श करने और कश्मीर घाटी में जमीनी हालात का परीक्षण करने के बाद वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं ।
कश्मीर घाटी में भीड़ पर काबू पाने के लिए पेलेट गनों के इस्तेमाल पर सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इस हथियार से बड़े पैमाने पर घाटी में लोग घायल हुए हैं ।
गौरतलब है कि आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में हुई मौत के बाद कश्मीर घाटी में पिछले 51 दिनों से जारी अशांति में दर्जनों लोग मारे गए हैं जबकि कई अन्य घायल हुए हैं ।