नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी में नोटबंदी के कारण छात्रों की उपस्थिति कैसे कम हो सकती है? हाईकोर्ट ने इस बारे में डीयू प्रशासन व बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश जी.रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने बीसीआइ द्वारा डीयू को लिखे उस पत्र पर आपत्ति जताई, जिसमें उसने उपस्थिति कम होने के बाद भी छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की सिफारिश की है।
क्या है मामला
लॉ फैकल्टी के शैक्षणिक सत्र 2015-16 में पढ़ने वाले करीब 500 से अधिक छात्र बीसीआइ द्वारा निर्धारित उपस्थिति की न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं कर सके थे। ऐसे में डीयू प्रशासन ने इन छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। छात्रों के हंगामे के बाद मामला जब बीसीआइ तक पहुंचा तो 17 दिसंबर को बीसीआइ सचिव ने डीयू को मामले में दया व उपस्थिति नियमों में थोड़ा छूट देते हुए छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की सिफारिश की। बीसीआइ का कहना है कि छात्रों से यह हलफनामा लेकर कि वे अगले सेमेस्टर में उपस्थिति पूरी कर लेगें, इस बार परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। बीसीआइ के पत्र के बाद डीयू ने अनुमति भी दे दी। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर नाराज हो गया।
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