उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई दूसरे इलाकों में मीट मछली खाने वालों को आज दिक्कत का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई के विरोध में मांस विक्रेताओं की हड़ताल में मटन और चिकन विक्रेताओं के बाद अब मछली कारोबारियों ने भी इस हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। प्रदेश में हड़ताल की वजह से मांस परोसने वाले होटल अब बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। 100 साल के इतिहास में लखनऊ का टुंडे कबाबी पहली बार बंद हुआ, हालांकि मांसाहार का होटल चलाने वाले कुछ लोगों ने अवैध बूचड़खाने बंद किए जाने का स्वागत किया है। उनका कहना है कि प्रदेश में अगर मांस की किल्लत हुई तो वह दिल्ली से मटन मंगवाएंगे। उनका आरोप है कि अवैध बूचड़खानों में कुत्तों तक को भी काटा जाता था।
लखनऊ बकरा गोश्त व्यापार मण्डल के पदाधिकारी मुबीन कुरैशी ने रविवार को कहा, कि हमने अपनी हडताल को और तेज करने का फैसला किया है। मांस की सभी दुकानें बंद रहेंगी। मछली विक्रेताओं ने भी इस हडताल में शामिल होने की घोषणा की है। मालूम हो कि राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के अनेक जिलों में बूचडखाने बंद किये जाने की वजह से मांसाहार परोसने वाले होटलों और रेस्त्रां में व्यंजन बनाने के लिये मटन और चिकन का इस्तेमाल किया जा रहा था। अब मटन और चिकन बेचने वालों की हडताल की वजह से ये सभी प्रतिष्ठान बंदी की कगार पर पहुंच गये हैं।
इस हड़ताल के समर्थन में टुंडे कबाबी व करीम सहित लखनऊ के नामचीन होटल भी पूरी तरह बंद रहेंगे। वहीं, रविवार को अवकाश के दिन भी शहर के अधिकांश मीट की दुकानें व नॉन वेज के होटलों पर ताला लटका रहा।
कुरैश वेलफेयर फाउंडेशन के महामंत्री मुहम्मद शहाबुद्दीन खान ने दुकानों के लाइसेंस के नवीनीकरण होने तक हड़ताल जारी रखने का एलान किया। हालांकि, रविवार को कैसरबाग व पक्का पुल स्थित मछली मंडी पर इस बंदी का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया।