टाटा ग्रुप से चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाने के बाद शुरू हुई बवाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा। पहले साइरस मिस्त्री ने ईमेल भेजकर कंपनी पर कई आरोप लगाए और फैसलों के पीछे दखलअंदाजी का आरोप लगाकर अरबों के घाटे की आशंका जताई। इसके बाद गुरुवार को टाटा सन्स ने अपनी सफाई पेश की और साइरस मिस्त्री पर ताबड़तोड़ आरोप लगा दिए।
टाटा ग्रुप की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि साइरस मिस्त्री ने फैसलों में और काम करने में आजादी नहीं होने की जो बात कही है सरासर गलत है और उन्हें काम करने और कंपनी के हित में फैसले लेने की पूरी छूट थी। हालांकि, टाटा ग्रुप की अपनी एक संस्कृति है और पिछले चेयरमैन के कार्यकाल में हमारी परंपराओं और संस्कृति को लेकर काफी उथल-पुथल देखने को मिला।
टाट ग्रुप की ओर से कहा गया है कि साइरस मिस्त्री ने एक गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किया। ये गरिमापूर्ण तरीका नहीं था। इस पत्राचार में टाटा समूह के कारोबार को लेकर आधारहीन तथ्य रखे गए हैं। इसके साथ ही टाटा सन्स बोर्ड, समूह की कई कंपनियों और सम्मानित लोगों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं।