एनसीपी नेता शरद पवार की बेटी और लोक सभा सांसद सुप्रिया सुले ने टाटा समूह के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया है। खुद को मिस्त्री और उनकी पत्नी रोहिक़ा चागला की अच्छी दोस्त बताने वाली सुले ने एक निजी टीवी चैनल से कहा कि साइरस मिस्त्री ने टाटा समूह को “अपने परिवार और पारिवारिक कारोबार के हिस्से का सारा समय” दिया है और उनके प्रदर्शन को खराब बताना गलत है। सुले ने कहा कि “मिस्त्री ने टाटा की भलाई के लिए कड़ी मेहनत की थी।” रतन टाटा के 75 वर्ष की आयु पूरे करने पर 29 दिसंबर 2012 में अब 48 वर्ष के हो चुके मिस्त्री को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया था।
साइरस मिस्त्री को 24 अक्टूबर को टाटा समूह की बोर्ड मीटिंग के दौरान अचानक ही पद से हटा दिया गया । टाटा समूह के 78 वर्षीय पूर्व चेयरमैन रतन टाटा अगले चार महीने तक समूह के अंतरिम चेयरमैन रहेंगे। मिस्त्री का उत्तराधिकारी खोजने के लिए सर्च कमेटी का गठन किया गया है। मिस्त्री ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भेजे ईमेल में कहा कि उन्हें बचाव का मौका नहीं दिया गया और उन्हें पद से हटाने के दौरान निर्धारित प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया। मिस्त्री ने अपने ईमेल में कहा कि उन्हें पद संभालने के बाद आजादी से काम करने का मौका नहीं दिया गया जबकि उनसे इसका वादा किया गया था। मिस्त्री के अनुसार उनके कारोबार का तरीका रतन टाटा से काफी अलग था जो कोरस और जगुआर जैसी विदेशी कंपनियां खरीदने पर अरबों डॉलर खर्च करते थे।
मिस्त्री को हटाने का क्या कारण रहा इसकी जानकारी नहीं दी गई। लेकिन बताया जाता है कि मिस्त्री के काम से टाटा ग्रुप का बोर्ड खुश नहीं था। टाटा संस के प्रवक्ता ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया, ”बोर्ड ने सामूहिक बुद्धिमत्ता और प्रधान शेयरहोल्डर्स के सुझावों के आधार पर टाटा संस और टाटा ग्रुप के दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखते हुए बदलाव का फैसला किया है।” मिस्त्री टाटा समूह के चेयरमैन वाले दूसरे ऐसे सदस्य थे जो टाटा परिवार से नहीं थे। उनसे पहले टाटा खानदान से बाहर के नौरोजी सकलतवाला 1932 में कंपनी के प्रमुख रहे थे।कहा जा रहा है कि टाटा समूह 30 अरब डॉलर के कर्ज में है।