आपको हम बता दें कि परंपरागत पनडुब्बियों से अलग परमाणुशक्ति-चालित पनडुब्बियों की खासियत यह होती है कि वे असीमित दूरी तक बहुत-से काम करती रह सकती हैं, क्योंकि उन्हें बार-बार ईंधन भरने की ज़रूरत नहीं होती। इसका अर्थ यह हुआ कि टॉरपीडो और क्रूज़ मिसाइलों से लैस इन पनडुब्बियों को पानी के भीतर ज़्यादा समय तक तैनात रखा जा सकता है, जहां इन्हें तलाश कर पाना या इनका सुराग पाना बेहद कठिन होता है।
अब हिन्द महासागर में चीनी परमाणु पनडुब्बी की मौजूदगी साबित करती है कि भारत की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस इलाके में भारतीय प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए चीन बहुत बेकरार है, और लगातार प्रयास कर रहा है।
पिछले महीने नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने कहा था, “जहां तक पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के नौसेनिक पोत तथा पनडुब्बियों का सवाल है, भारतीय नौसेना उन पर करीबी नज़र रखती है, और उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखती है… हम उनका सुराग पाते रहने के लिए विमानों और पोतों की सूरत में सर्वेलैन्स मिशन लॉन्च करते रहते हैं…”