हिंसा की आशंका, बढ़ाई गई सुरक्षाबलों की तैनाती
वर्ष 1990 में राज्य में आतंकवाद के पैर फैलाने के बाद से यह संभवत: पहली बार है, जब ईद के मौके पर घाटी में कर्फ्यू लगा है। सूत्रों ने बताया कि हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों के जरिए आसमान से कड़ी निगरानी रखी जा रही है। कुछ इलाकों में लोगों के जुटने पर ड्रोन सुरक्षा बलों को पहले ही चेतावनी दे देंगे। अलगाववादियों की ओर से हिंसा की आशंका के बीच सुरक्षाबल बड़ी संख्या में सड़कों पर तैनात हैं। अब तक देखा गया है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान अलगाववादी महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल ‘ढाल’ के तौर पर करते हैं, जिससे इन रैलियों में बड़ी संख्या में नागरिक हताहत होते आए हैं।
26 साल में पहली बार ईदगाह में ईद की नमाज नहीं
आतंकवाद के उभार के बाद 26 साल में यह पहली बार है कि जब यहां ईदगाह और हजरतबल मस्जिदों में ईद की नमाज आयोजित नहीं की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि लोगों को स्थानीय मस्जिदों में नमाज अदा करने की अनुमति होगी। राज्य में कानून और व्यवस्था की तनावपूर्ण स्थिति के कारण सरकार पहले से ही सभी टेलीकॉम नेटवर्कों की इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के आदेश दे चुकी है। सरकारी दूरसंचार सेवा बीएसएनएल के अलावा सभी नेटवर्कों की मोबाइल सेवा भी अगले 72 घंटे तक बंद रहेगी।
मोबाइल सेवाएं भी प्रतिबंधित
आठ जुलाई को सुरक्षा बलों द्वारा हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद से यहां मोबाइल सेवाएं प्रतिबंधित हैं। 27 जुलाई को ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करके ये सेवाएं आंशिक रूप से बहाल की गई थीं। विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंसने कर्फ्यू लगाने के फैसले को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि इससे पार्टी का यह दावा सच साबित हो गया कि महबूबा मुफ्ती की सरकार का हालात पर कोई नियंत्रण नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा, ‘पीडीपी इस स्थिति की तुलना 2010 के आंदोलन से करती आई है लेकिन आज से पहले कभी भी ईद जैसे मुबारक मौके पर यहां कर्फ्यू नहीं रहा है।’