उन्होंने कहा, ”मैंने सद्दाम में एक मानवीय पक्ष भी देखा। अमरीकी मीडिया ने जो छवि पेश की है उससे यह बिल्कुल उलट थी। वह अपने आप में एक चमत्कारी व्यक्ति थे और ऐसे शख्स से मेरा कभी पाला नहीं पड़ा था। हो सकता है वह आकर्षक, अच्छा और विनम्र बनना चाहते हों।
लेकिन एक दूसरा पहलू भी था। निक्सन ने कहा, ”सद्दाम अशिष्ट, घमंडी और बदतर थे। आपा खोने के बाद वह डरावना लगते थे। ऐसे दो या तीन वाकये आए जब मेरे सवाल के कारण उनके बुरे पक्ष सामने आए। जब उनसे पूछताछ की जा रही थी तब वह उस गंदे कमरे में काफी असंयमित लग रहे थे। वह एक कुर्सी पर बैठे हुए थे।”
निक्सन इस बात को स्वीकार करते हैं कि सीआईए ने सद्दाम के सामने बातचीत के दौरान छोटे प्रलोभन की पेशकश की थी। उन्होंने कहा, ”हमने अपील की थी कि उनके इतिहासबोध और विचार दुनिया के सबसे बड़ी शक्ति के द्वारा सुनने के लिए रिकॉर्ड किया जा रहा है। सद्दाम हुसैन से सीआईए को ख़ास चीज़ों पर बात करनी थी अन्यथा उन्हें अपनी शर्तों पर छोड़ दिया गया था। मुझे पता है कि मैंने कोशिश की थी और जवाब भी मिले थे।
निक्सन ने कहा, ”पूछताछ के दौरान मेरे लिए सबसे अहम विषय था जनसंहारक हथियार। अमरीका और ब्रिटेन ने यही आरोप लगाकर इराक के साथ युद्ध छेड़ा था कि उसके पास ख़तरनाक हथियार हैं। वाइट हाउस इन सारी चीज़ों को जानना चाहता था।” लेकिन क्या सद्दाम हुसैन से बातचीत, उनके सलाहकारों और बाद के अनुसंधानों में इस बात की पुष्टि हुई या फिर उन्होंने इन दावों को खारिज कर दिया?