रविशंकर प्रसाद के अनुसार प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ये भी कहा, “मैंने स्वयं अपील की थी कि कुछ दिनों के लिए कठिनाई होगी। लेकिन देश की जनता ने नैसर्गिक रूप से बदलाव के इस ऐतिहासिक क़दम का स्वागत किया है।”
सरकार और प्रधानमंत्री भले नोटबंदी को कामयाबी भरा फ़ैसला बता रहे हों, लेकिन कांग्रेस पार्टी नोटबंदी के फ़ैसले के ख़िलाफ़ छह जनवरी से ही देशव्यापी धरना प्रदर्शन शुरू कर चुकी है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहते हैं, “नोटबंदी से देशबंदी वाली स्थिति हो गई है। ग़रीब किसान, मज़दूर, छोटे छोटे दुकानदार-व्यवसायी और बेरोज़गारों पर बुरा प्रभाव हुआ है। रोज़ी रोटी और रोज़गार दोनों नोटबंदी ने छीन लिए हैं।”
वहीं वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार के मुताबिक़ नोटबंदी के फ़ैसले से काली अर्थव्यवस्था पर कोई अंकुश नहीं लगी है।
उन्होंने कहा, “काले धन की अर्थव्यवस्था पर कोई असर होता तब तो कुछ फ़ायदा होता। ऐसा हुआ नहीं। काली संपत्ति अब नक़द के तौर पर में बैंक में आ गई है, काली कमाई बंद नहीं हुई है। लेकिन इससे देश की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं को ज़बर्दस्त धक्का लगा है। निवेश गिर गया है, बेरोज़गारी बढ़ गई है, बैंक क्राइसिस में हैं।