दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगुर में भूमि अधिग्रहण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘एतिहासिक जीत’’ बताया। राज्य में टाटा की नैनो कार परियोजना के लिये सिंगुर में भूमि अधिग्रहण किया गया था।
ममता ने यहां राज्य सचिवालय में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, ‘‘सिंगुर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला एतिहासिक जीत है। इस फैसले के लिये हमने 10 साल प्रतीक्षा की है।’’ ममता बनर्जी ने इस भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राज्य की तत्कालीन वामपंथी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर राजनीतिक विरोध अभियान चलाया था। जिसके चलते टाटा समूह को 2008 में अपनी इस परियोजना को छोड़ना पड़ा।
ममता ने कहा कि उनकी सरकार शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद अब किसानों को उनकी जमीन लौटाने के लिये जल्द ही व्यवस्था करेगी।
न्यायमूर्ति अरण मिश्र और वी. गोपाल गोउडा की खंडपीठ के आज के फैसले में सिंगुर में की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को गड़बड़ करार दिया और कहा कि यह भूमि अधिग्रहण सार्वजनिक उद्देश्य के लिये नहीं था।
न्यायालय ने कहा है कि किसानों को उनकी जमीन 12 सप्ताह के भीतर लौटा दी जानी चाहिये।
बनर्जी ने कहा, ‘‘शुरू से ही हम कह रहे हैं कि भूमि अधिग्रहण का तरीका ठीक नहीं है और किसानों से जमीन जबर्दस्ती ली गई है।’’ ममता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ तब उन्होंने शहर में भूख हड़ताल की थी जो कि 26 दिन चली थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का जो नारा है ‘मां-माटी-मानुष’ सिंगुर अभियान से ही पैदा हुआ और कई बौद्धिक हस्तियों ने इसका समर्थन किया। उनमें दिवंगत महाश्वेता देवी भी शामिल थी।
ममता ने कहा, ‘‘यदि महाश्वेता देवी आज जीवित होतीं तो वह बहुत प्रसन्न होतीं .. यह किसानों की जीत है, सच्चाई की जती है और मॉ माटी मानुष की जीत है। सिंगुर के लोगों की इस जीत को इतिहास में दर्ज किया जाना चाहिये।’’ टाटा मोटर्स ने सिंगुर में अपने कारखाने के लिये 1,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था।
ममता ने इसका विरोध किया था और टाटा से कहा था कि वह 400 एकड़ भूमि किसानों को लौटा दे। यह भूमि उन किसानों की थी जो कि परियोजना के लिये अपनी जमीन नहीं देना चाहते थे। उन्होंने मुआवजा लेने से भी इनकार कर दिया था।
ममता बनर्जी कल एक बैठक करेंगी जिसमें न्यायालय के फैसले को अमल में लाने के लिये विचार किया जायेगा।
ममता ने सिंगुर के किसान की बेटी तापासी मलिक को श्रद्धांजलि दी जो कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में गठित कृषि जमी रक्षा समिति के अभियान में सबसे आगे थी। इस 18 वर्षीय लड़की का अधजला शव 18 दिसंबर 2006 को परियोजना स्थल के निकट बाजेमेलिया में मिला था। इस मामले में हुगली जिला अदालत ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सिंगुर क्षेत्रीय समिति के पूर्व सचिव सुह्रद दत्ता और समर्थक देबू मलिक को दोषी करार दिया था।