अखिलेश और शिवपाल के बीच मतभेद उस समय खुलकर सामने आया जब अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की कोशिश हुई। इससे नाराज अखिलेश विरोध दर्ज कराने के लिए सैफई महोत्सव में नहीं गए। इतना ही नहीं, अखिलेश ने चाचा शिवपाल के करीबी बलराम यादव को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। हालांकि बाद में मुलायम के दबाव के बाद अखिलेश को न सिर्फ बलराम यादव को फिर से मंत्री बनाना पड़ा, बल्कि कौमी एकता दल का एसपी में विलय भी हो गया।
पिछले कुछ समय से अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव दोनों ने एक दूसरे के पर कतरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। अखिलेश ने शिवपाल के करीबी दीपक सिंघल की मुख्य सचिव पद से छुट्टी कर दी। गायत्री प्रजापति सहित शिवपाल के करीबी मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटा दिया। चाचा से अहम मंत्रालयों को छीन लिया। जवाब में शिवपाल ने इस्तीफा दे दिया जिसे स्वीकार नहीं किया गया। एक बार फिर शिवपाल का मान-मनौव्वल हुआ और मुलायम ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को यह अहम पद दे दिया। गायत्री प्रजापति भी बलराम यादव की तरह दोबारा मंत्री बनाए गए। प्रदेश अध्यक्ष बनते ही शिवपाल ने अखिलेश समर्थक कई नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया।