सिद्दपेत (तेलंगाना)। मिरदोदी, दुब्बक, छिन्नाकोदुर और सिदद्पेत के दलितों का एक वर्ग मांग कर रहा है कि दशहरा के मौके पर रावण को नहीं जलाया जाना चाहिए क्योंकि यह हिंसा को आगे बढ़ाने का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
मिशन अंबेडकर सोसायटी, मदिगा रिजर्वेशन पोराता समिति, दलित बहुजन फ्रंट और ऑल माला स्टुडेंट्स दलितों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं इन संगठनों ने दुब्बक, छिन्नाकोदुर, गजवेल, मिरदोदी के ग्रामीणों को प्रमुखों के तौर पर नियुक्ति किया है। पुलिस स्टेशन 11 अक्टूबर को दशहरा के रुप में रावण ब्रह्मा वर्दंति के दिन जांच करने की योजना बना रही है।
वे दशहरा के दिन दुब्बक और मिरदोदी मंडल में बाइक रैली के आयोजन की योजना बना रहे हैं। इसके लिए मीटिंग कर रहे हैं। यह बहली बार नहीं है दलितों ने रावण को जलाने की पुरानी प्रथा पर सवाल उठाया हो। पिछले कई वर्षों से हिंदू पौराणिक कथाओं में रावण के चित्रण पर चर्चा चल रही है। आपको बता दें पिछले दशहरा की पूर्व संध्या पर मिरदोदी मंडल के लिंगुपल्ली गांव ने राम का पुतला जला दिया था। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था और जेल भेजा गया था।