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दलित बहुजन फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर पेड्डालिंगन्नागारी ने कहा कि तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में उन लोगों का एक बड़ा वर्ग है जो रावण की पूजा करते हैं और उनकी राय के भी सम्मान किए जाने की जरुरत है।
पौराणिक शास्त्रों से जैसे नरकासुर, तताकी, शंभुक और रावण का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि अप्रत्यक्ष तौर पर यह सभी कहीं न कहीं कमजोर वर्ग से संबंध रखते थे और उनका उन आर्यों के द्वारा सफाया किया गया था क्योंकि जो विदेश से इस देश की भूमि पर आए थे।
उन्होने दावा किया कि रावण दहन हिंसा को बढ़ावा देता है और इस तरह की गतिविधियों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होने कहा प्रधानमंत्री को दिल्ली में दशहरा के मौके पर शामिल नहीं होकर एक उदाहरण पेश करना चाहिए।
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