कैबिनेट की बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि रोजगार पाने या स्वास्थ्य सेवाएं या शिक्षा प्राप्त करने की शर्त के तौर पर एचआईवी की जांच की अनिवार्यता पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। विधेयक के अनुसार ‘‘किसी भी व्यक्ति को एचआईवी संबंधी उसकी स्थिति के बारे में खुलासा करने के लिए तब तक बाध्य नहीं किया जा सकता जब तक कि उसकी सूचित सहमति न हो और अदालत के आदेश के तहत ऐसा करना अनिवार्य नहीं हो।’ एचआईवी से संक्रमित लोगों की सूचना का रिकॉर्ड रखने वाले संस्थानों को डेटा सुरक्षा संबंधी कदम उठाने होंगे। प्रस्ताव के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के एचआईवी से संक्रमित या पीड़ित हर व्यक्ति को साझे घर में रहने और घर की सुविधाओं का आनंद लेने का अधिकार है।
विधेयक में एचआईवी से संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने की वकालत करने या उनसे संबंधित सूचना प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। विधेयक नाबालिगों के लिए संरक्षण भी मुहैया कराता है। बारह से 18 साल तक का ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसमें एचआईवी या एड्स से पीड़ित परिवार के मामलों का प्रबंधन करने और उन्हें समझने के लिए पर्याप्त परिपक्वता है, वह 18 वर्ष से कम आयु के अपने अन्य भाई या बहन के संरक्षक की भूमिका निभा सकता है। यह प्रावधान शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले, बैंक खातों के संचालन, संपत्ति के प्रबंधन, देखभाल एवं उपचार संबंधी मामलों में लागू होगा।