बीजेपी का यूपी को बड़ा तोहफा, 2 लाख करोड़ के खर्च में बनाए जाएगें बड़े हाइवे

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बीजेपी ने उत्तर प्रदेश को तोहफा देते हुए राजमार्ग क्षेत्र में ठहरी हुई विकास दर को तेज गति देने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे पर दो साल में 2 लाख करोड़ खर्च करके नई सड़के बनाने की योजना बनाई है।

उत्तर प्रदेश में जलमार्ग परिवहन को भी बढ़ावा देने के लिए बनारस में बंदरगाह बनाने के साथ-साथ कुछ और जगह छोटी जेटी बनाने की योजना है। इस दिशा में क्या हो रहा है, इस मसले पर केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली। अमर उजाला की खबर के अनुसार नितिन गडकरी से बातचीत में उत्तर प्रदेश में सड़क परिवाहन के लिए बनाए जाने वाली नीतिओं का पता चला, किस प्रकार बीजेपी सरकार 2 लाख करोड़ खर्च करके बड़े-बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे का निर्माण करवाया जाऐगा।

किसी भी राज्य के विकास में सड़क जैसी ढांचागत सुविधा बड़ी भूमिका निभाती है। उत्तर प्रदेश केलिए आपकी क्या योजना है? उत्तर- उत्तर प्रदेश के लिए हमने बड़ी योजना बनाई है। हम राज्य में अगले दो वर्षों के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे, बाईपास, बड़े पुल, फलाईओवर, आदि के निर्माण के लिए दो लाख करोड़ रुपये का निवेश करने वाले हैं। इसकी शुरुआत हो गई है। पिछले महीने ही हमने लखनऊ के लिए करीब 1,000 करोड़ रुपये लागत से सात फ्लाईओवर बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया है। इसके साथ ही 5,214 करोड़ रुपये की लखनऊ बाईपास की योजना का शिलान्यास हुआ है। ढेरों परियोजनाओं पर काम चल रहा है अभी।

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परियोजनाओं की अभी क्या स्थिति है उत्तर प्रदेश में? उत्तर- अभी उत्तर प्रदेश में करीब 60 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं। इनमें से करीब सात हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, 20 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है और 25 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की स्वीकृति का काम चल रहा है। आप मेरी बात को गांठ बांध लें कि हमारी सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले हम उत्तर प्रदेश में 2 लाख करोड़ रुपये की सड़कें बनाकर देंगे, दो साल में सड़को पर 2 लाख खर्च किए जाएगें।

अभी प्रतिदिन सड़क निर्माण की गति क्या है? उत्तर- अभी की गति जानने से पहले आप पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की गति भी जानिए। उस दौरान हर दिन दो किलोमीटर सड़क बनाई जा रही थी। आज राजग सरकार के समय हर दिन 22 किलोमीटर सड़कें बनाई जा रही हैं और शीघ्र ही इसे बढ़ाकर 42 किलोमीटर प्रतिदिन करने का हमारा लक्ष्य है।

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अाप इतनी परियोजनाओं की बात करते हैं, लेकिन इसके लिए पैसे आएंगे कहां से? उत्तर- हमारे यहां पैसे की कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत है पैसे खर्च करने का। हम तो ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि हम ही पैसे जुटा कर कांट्रेक्टर को दें, क्योंकि वे बैंक से जब पैसा लेते हैं, तो उन्हें कम से कम 11 फीसदी सालाना ब्याज दर पर पैसे मिलते हैं। जबकि हम 8 फीसदी से भी कम ब्याज दर पर पैसे जुटा रहे हैं। अभी एनएचएआई ने ईपीएफओ से 7.65 फीसदी ब्याज दर पर पैसे लिए हैं। हमारी साख इतनी अच्छी है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) हमें एक लाख करोड़ रुपये देने के लिए तैयार है। हमें मसाला बांड से ऑफर आया है। इस बारे में हम टेंडर ले रहे हैं। रिजर्व बैंक और गृह मंत्रालय से अप्रूवल ले कर हम मसाला बांड से पैसे लेंगे। हमें लगता है कि इस तरीके से हम करीब दो लाख करोड़ रुपये जुटा लेंगे, वह भी 5.5 फीसदी से 6 फीसदी केवार्षिक ब्याज दर पर।

राजमार्ग क्षेत्र में काम करने वाले कांट्रेक्टरों का कहना है कि बैंक उन्हें वित्तपोषण नहीं कर रहे हैं? उत्तर- यह सच है कि बैंक से प्रोजेक्ट के फाइनेंशियल क्लोजर होने में दिक्कत हो रही है। इस सिलसिले में स्टेट बैंक की अध्यक्ष से हमने मुलाकात की। इंडियन बैंक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से भी हमारी मुलाकात हुई है। इसके बाद आईडीएफसी के एमडी से भी बात हुई। उन्होंने जो बातें उठाई, उसे ध्यान में रख कर हम यथासंभव एग्रीमेंट में फेरबदल कर रहे हैं। अब हमारी परियोजनाओं का फाइनेंशियल क्लोजर होना शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में स्थिति में और सुधार होगा।

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आप जलमार्ग परिवहन को बढ़ावा देने की बात करते हैं। इसके लिए क्या कदम उठाया गया है?उत्तर- जलमार्ग परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यही नहीं, इससे प्रदूषण भी ना के बराबर होता है। इस दिशा में भी हमने काम शुरू कर दिया है। देश की 111 नदियों को जलमार्ग के रुप में विकसित किया जाएग। सबसे पहले गंगा में वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग का विकास कर इसकी शुरुआत की जा चुकी है। वहां नियमित परिवहन शुरू हो गया है। इसी मार्ग पर कुछ और जेटी बनाई जा रही है। पूरे देश में हम जलमार्ग परिवहन शुरू करेंगे।