विलासा देवी के मुताबिक जब उसे होश आया..तो जिन लोगों ने उसे बचाया था, उन्होने उससे उसका नाम और पता भी पूछा। वो बताती हैं कि कि मैं गंवार थी, मुझे कुछ नहीं पता था, सिर्फ अपने गांव का नाम याद था। यही वजह है कि विलासा देवी एक ऐसी दुनिया में पहुंच गई जहां से चहाकर भी वो कभी वापस नहीं लौट पाई। क्योंकि महज़ गांव का नाम पता होने से उसे उसके घर पहुंचाना काफी मुश्किलभरा था। अब पढ़िए 40 साल बाद कुदरत ने कैसे विलासा को उनके परिवार से मिलाया।
विलासा की बेटी रामकुमारी का ससुराल कन्नौज के धीरपुर चिरैया गांव में है। विलासा के मुताबिक गांव की सन्नों का मायका भी वहीं है। बातचीत के दौरान रामकुमारी का जिक्र आया तो उसके बारे में जानने को उत्सुकता हो गई। रामकुमारी से मिलने पर पुरानी यादें ताजा होती चली गईं और वह इनायतपुर गांव अपने परिवार के बीच आ पहुंची।
विलासा जिन बच्चों को गोद में छोड़कर गई थी वे 50-55 साल के हो गए हैं और उनका भरा पूरा परिवार है। इनायतपुर गांव के रामलाल, मातादीन, चेतराम व भिखारीलाल ने बताया कि वे लोग अंतिम संस्कार में गए थे और उन्हें गंगा में प्रवाहित किया था। यह ईश्वर का चमत्कार ही है। उनके बेटों के मुताबिक जब मां को सांप ने काटा था तो बहुत छोटा था। तब मां का प्यार नहीं मिल पाया था, लेकिन मेरी मां अब वापस आ गई है, इससे बड़ी ख़ुशी कुछ नहीं हो सकती है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा सब कुछ वापस लौट आया। मेरे परिवार में जश्न का माहौल है। मेरी बहनें इतनी खुश है, जिसका ठिकाना नहीं है।
अगले स्लाइड में पढ़ें – इस घटना पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक साथ ही देखिए वीडियो, कैसे मां के लौटने से बदला परिवार का माहौल