दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में सिविक एजेंसियों को सफाई के मुद्दे पर फटकार लगाते हुए कहा है कि आप न तो कोर्ट का सम्मान करते है और न ही प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान योजना का, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। न्यायमूर्ति बीडी अहमद व आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने कहा कि राजधानी एक स्वच्छ शहर हो, हम यह कब सुनिश्चित कर पाएंगे। अदालत ने सवाल करते हुए कहा कि क्या आप अपने ड्राइंग रूम में किसी को बुलाना चाहेंगे जब वहां कमरे के बीच में कूड़ा रखा हो। हमारे लिए पूरी दिल्ली हमारा ड्राइंग रूम है और हम इसे साफ देखना चाहते हैं।
खंडपीठ ने कहा कि आप राजधानी को पूरी तरह साफ कब कर पाएंगे। कब यहां ऐसे हालत होंगे कि यहां गंदगी शून्य होगी। अदालत ने कहा कि एजेंसियों को गंदगी हटाने के लिए एक उचित योजना बनानी होगी। अदालत द्वारका सब-सिटी में गंदगी को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने दिल्ली पुलिस व अन्य सिविक एजेंसियों को निर्देश दिया कि खुले में कूड़ा फेंकने वालों पर आइपीसी के तहत कार्रवाई की जाए और उनसे जुर्माना भी वसूले जाए। पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद से ऐसे लोगों पर नजर रखें जो खुले में कूड़ा फेंकते हैं।
अदालत ने कहा कि कूड़ा फेंकने के लिए चिह्नित जगहों की कमी होने के चलते लोग खुले में कूड़ा फेंकते हैं और इससे दिल्ली में डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैल रहीं हैं। अदालत ने आदेश दिया कि लोगों को टीवी, अखबार व अन्य माध्यम से जागरूक करें कि खुले में कूड़ा फेंकने पर आईपीसी कानून के तहत, जुर्माना, जेल आदि हो सकती है।