हाइकोर्ट के फैसले से आप नाराज, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी दिल्ली सरकार

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दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ वर्चस्व की लड़ाई में उच्च न्यायालय का फैसला अपने खिलाफ आने पर आम आदमी पार्टी :आप: सरकार ने आज कहा कि वह इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी और सवाल किया कि यदि इस शहर को उपराज्यपाल द्वारा ही चलाया जाना था तो विधानसभा की व्यवस्था के लिए संविधान संशोधन क्यों किया गया।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के फैसले से सादरपूर्ण असहमत होते हैं।’’ उन्होंने कहा कि किसी अन्य संघशासित क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी में बड़ा अंतर है और आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से संबंधित कई फैसले नियमों के बहाने रोक दिए गए।

उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय कहता है कि दिल्ली महज एक संघशासित क्षेत्र है। यदि संविधान के अुनसार दिल्ली बस संघशासित क्षेत्र है तो दिल्ली को विधानसभा वाला संघशासित क्षेत्र बनाने के लिए उसमें संशोधन क्यों किया गया?’’ उपमुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यदि दिल्ली उपराज्यपाल द्वारा चलाया जाना था तब विधानसभा की व्यवस्था करने के लिए संविधान में संशोधन क्यों किया गया? निर्वाचित सरकार के लिए प्रावधान क्यों बनाया गया? हमें निशाना बनाया गया क्योंकि हमने इस शहर को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की कोशिश की। ’’
जंग पर निशाना साधते हुए सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार जब से बनी है तब से ही उपराज्यपाल और केंद्र ने उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका। उन्होंने कहा, ‘‘वे दिल्ली में ऐसी सरकार चाहते थे जो भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई नहीं कर सकती , किसानों को मुआवजा नहीं दे पाती और अधिकारियों का तबादला नहीं कर पाती। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के फैसले को इसी पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। सरकार को जब इन सारे कामों से रोका गया तब वह न्यायालय पहुंची थी।

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दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का प्रारंभिक आकलन यह बताता है कि ‘‘इसने संविधान में मंत्रिपरिषद को दी गई शक्तियों को कमतर किया है।’’ आप नेता राघव चड्ढा ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को कमतर नहीं आंका जा सकता। यह वर्चस्व की नहीं, लोकतंत्र की लड़ाई है।’’ मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने आप सरकार की केन्द्र सरकार की 21 मई 2015 की अधिसूचना को चुनौती देती याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्तियां दी गई हैं।

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अदालत ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद से केजरीवाल सरकार द्वारा जारी की गई विभिन्न अधिसूचनाओं को भी यह कहकर खारिज कर दिया कि यह अवैध हैं क्योंकि इन्हें उप राज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया है।

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