दिल्ली
आप सरकार का सीएनजी फिटनेस घोटाला और वित्त मंत्री अरूण जेटली के डीडीसीए अध्यक्ष रहने के दौरान उसमें कथित तौर पर हुई अनियमितताओं की जांच कराने के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अवैध करार दिया। अदालत ने कहा कि ये फैसले उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना किए गए, जो राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक प्रमुख हैं।
दिल्ली सरकार के सीएनसी फिटनेस घोटाले की जांच के लिए एक आयोग स्थापित करने के फैसले को परिवहन विभाग के दो पूर्व अधिकारियों और केंद्र ने चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि सिर्फ उपराज्यपाल इस तरह की कार्रवाई कर सकते हैं। उस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम आया था।
दो जांच आयोग गठित करने के फैसले के अतिरिक्त तीन बिजली कंपनियों में मनोनीत निदेशक नियुक्त करने के दिल्ली सरकार के कदम, बिजली में कटौती के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से डीईआरसी को दिए गए निर्देश और कृषि भूमि को बेचने पर स्टांप कर की समीक्षा को भी मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने उपराज्यपाल नजीब जंग की मंजूरी के अभाव के कारण अवैध करार दिया।