नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक घरेलू कलह के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि गर्भवती महिला का सेक्स से इनकार करना क्रूरता नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह कारण किसी भी सूरत में तलाक का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने तर्क देते हुए कहा कि गर्भ में भ्रूण लेकर महिला के लिए सेक्स करना पीड़ादायी होगा।
न्यायमूर्ति प्रदीप नन्दराजोग और प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने यह भी कहा कि अगर पत्नी रोजाना सुबह लेट उठती है और उसे सुबह उठते ही बिस्तर पर ही चाय चाहिए तो इसे आलसीपन कहा जाएगा। इसे क्रूरता की संज्ञा देना गलत है।
बता दें कि कुछ समय पहले एक परिवार में पति को लंबे वक्त से सेक्स से इनकार करने और इसके पीछे कोई वाजिब कारण न बताने को दिल्ली हाईकोर्ट ने मानसिक क्रूरता माना था व इसे तलाक का आधार भी बताया था।
































































