गोवा में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद नई सरकार के गठन को लेकर पणजी से दिल्ली तक सियासत गर्मा गई है। ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कांग्रेस ने मनोहर पर्रिकर के शपथ पर रोक लगाने की मांग की। मंगलवार को इस याचिकापर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को गोवा में बहुमत परीक्षण कराने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल से इससे पहले सभी प्रक्रिया पूरी करने को कहा। अदालत ने मनोहर पर्रिकर के शपथ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इस बीच कांग्रेस सरकार गठन के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ रही। कांग्रेस के 17 विधायक महासचिव दिग्विजय सिंह के साथ बस से राजभवन पहुंचे हैं। कांग्रेस मांग कर रही है कि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के कारण पहले उन्हें सरकार गठन का मौका मिले। हालांकि, 40 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 21 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस को इसी बात के लिए फटकार लगी थी कि अगर आपके पास संख्याबल है तो आप राज्यपाल के पास क्यों नहीं गए?
कांग्रेस का आरोप है कि गोवा की राज्यपाल को सबसे बड़े दल को पहले मौका देना चाहिए। बीजेपी को सरकार बनाने का मौका देने से विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम गोवा में सरकार बना सकते हैं। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी है। राज्यपाल को इस मामले में सबसे बड़ी पार्टी से चर्चा करनी चाहिए थी।