भारत भर में, पिछले 10 सालों में पोलियो, बीसीजी, डीपीटी, और खसरा टीकों के द्वारा पूर्ण प्रतिरक्षण प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या में 40 फीसदी वृद्धि हुई है। वर्ष 2005-06 में एनएफएचएस के तीसरे दौर में 43.5 फीसदी से चौथे दौर के दौरान 62 फीसदी हुआ है।
यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड में टीकाकरण कवरेज में महत्वपूर्ण वृद्धि के कारण हुआ है। वर्ष 2005-06 के सर्वेक्षण में, इन राज्यों में टीका लगाए गए बच्चों की संख्या निराशाजनक दर्ज की गई थी। इन राज्यों में क्रमश: 23 फीसदी, 26.5 फीसदी, 32.8 फीसदी और 34.8 फीसदी के आंकड़े दर्ज किए गए थे।
हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 122 फीसदी छलांग के साथ इन राज्यों में टीकाकरण कवरेज में 97.45 फीसदी का औसत सुधार देखा गया है और अब तक जनसंख्या का क्रमश: 51.1 फीसदी, 54.8 फीसदी, 61.7 फीसदी और 61.9 फीसदी तक पहुंचा है।
इसी अवधि के दौरान, मध्य प्रदेश में प्रतिरक्षित बच्चों के प्रतिशत में 33 फीसदी की धीमी गति से बढ़ोतरी देखी गई है।
तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे अन्य समृद्ध राज्यों में गिरावट
भारतीय राज्यों में, पंजाब, गोवा और पश्चिम बंगाल में 12 से 23 महीनों के बीच के बच्चों के प्रतिरक्षण की सबसे ज्यादा संख्या दर्ज की गई।
हालांकि वर्ष 2005-06 में पंजाब और गोवा में टीकाकरण में 16.6 फीसदी और 4.8 फीसदी की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि नवीनतम एनएफएचएस आंकड़ों के मुताबिक उनकी दर 48.3 फीसदी है।
बिमारु राज्यों में टीकाकरण में वृद्धि, समृद्ध राज्यों में गिरावट
