हरियाणा में फिर होगा जाट आंदोलन, सरकार ने कसी कमर

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चंडीगढ़ में जहां मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने प्रदेश की विभिन्न खाप पंचायतों के नेताओं के साथ लंबी बातचीत का दौर चलाया वहीं रोहतक में भी इसी तरह के प्रयासों की सूचनाएं हैं। इधर, मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने अन्य सीनियर अफसरों को लेकर आंदोलन की दृष्टि से संवेदनशील माने गए 8 जिलों के उपायुक्तों व पुलिस प्रशासन के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग कर तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने जिलो में पहुंची अर्धसैन्य बलों की तैनाती के संबंध में भी अपडेट लिया और सिविल व पुलिस प्रशासन व अर्धसैन्य बलों के बीच व्यापक तालमेल पर जोर देते हुए हालातों पर पैनी निगाह रखने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि हरियाणा ने पिछले दिनों केंद्र से अर्धसैन्य बलों की 55 कंपनियां मांगी थी जो दिए गए स्थानों पर पहुंच चुकी हैं।

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सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव ने रोहतक, जींद, हिसार, सोनीपत, कैथल, झज्जर, दादरी और भिवानी के जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को विशेष हिदायतें जारी करते हुए लोगों से ज्यादा से ज्यादा संपर्क कर आंदोलन से दूर रहने के लिए समझाने और खूफिया तंत्र को चौकस रहने के निर्देश दिए। उन्होंने शहरों के साथ-साथ गांवों पर विशेष फोकस रखने को भी कहा। उल्लेखनीय है कि 29 तारीख से आंदोलन शुरु करने वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने इस दफा गांवों में धरने देने का ऐलान किया है। गौरतलब है कि पिछले साल हुए आंदोलन में सबसे ज्यादा नुकसान शहरी इलाकों में हुआ था जबकि गांवों में शांति रही थी।

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गौरतलब है कि चंडीगढ़ में मुख्य सचिव द्वारा जिलों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिगं के बाद मुख्यमंत्री मनोहरलाल व जाट नेताओं, खाप-पंचायतों के नेताओं के साथ अलग से मीटिंग रखी गई थी। कुल मिलाकर सरकार ने कूटनीतिक, राजनीतिक व प्रशासनिक तैयारियों के एक साथ अंजाम देकर शुरुआत में ही चीजों को कंट्रोल में लेने की कसरत कर डाली है। सरकार इस दफा पिछले साल फरवरी के दौरान दिशाहीन और नेतृत्वहीन हिंसक आंदोलन से मिले कड़वे अनुभवों से सबक लेते हुए पूरी सतर्कता बरतती दिखाई दे रही है।

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हालांकि मलिक गुट की तरफ से किए जा रहे आंदोलन को लेकर जिस तरह की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं कुछ खाप-पंचायतों की तरफ से जाहिर की जा रही है, उससे सरकार को पूरी-पूरी उम्मीद है कि मलिक गुट अपने धरनों को लेकर अलग-थलग पड़ जाएगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि शांतिप्रिय तरीके से बात रखने का सबको अधिकार है लेकिन, कहीं भी किसी भी स्तर पर कोई व्यक्ति कानून को हाथ में लेगा तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा।

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