झारखंड में जहां जनता खून के आंसू रोने को बेबस है, वहीं सरकार चैन की नींद सो रहीं है। जी हां,झारखंड में एक बार फिर चंद रुपये के लिए एक छोटे बच्चे की जान चली गयी, और अस्पताल प्रशासन देखता रह गया। मात्र 50 रुपये कम पड़ने पर राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के लैब स्टाफ ने एक बच्चे का टेस्ट करने से इनकार कर दिया। बच्चे के पिता ने लैब स्टॉफ से स्कैन करने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने बच्चे का टेस्ट करने से मना कर दिया। अस्पताल प्रबंधन से भी बच्चे के पिता ने काफी मिन्नतें की लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। और सही समय पर टेस्ट न होने से बच्चे की मौत मौके पर ही हो गई।दरअसल सीटी स्कैन के लिए बच्चे के पिता को 1350 रुपये की जरूरत थी लेकिन बच्चे के पिता अर्थात संतोष के पास केवल 1300 रुपये थे।
झारखंड पुलिस के मुताबिक, सिर में चोट लगने के चलते बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बच्चे के पिता संतोष कुमार ने बताया कि डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कराने के लिए कहा था। सीटी स्कैन के लिए 1350 रुपये की जरूरत थी लेकिन संतोष के पास केवल 1300 रुपये थे। उसने लैब स्टॉफ से स्कैन करने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने श्याम का टेस्ट करने से मना कर दिया। बाद में जांच के अभाव में बच्चे की मौत हो गई। इसी तरह से मिलता-जुलता एक मामला गुमला जिले में भी प्रकाश में आया था। जिसमें नवजात और प्रसूता दोनों की मौत हो गई थी।
जानकी देवी को गुमला सदर हॉस्पिटल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। लेकिन अस्पताल ने ऑपरेशन नहीं किया और उसे रिम्स रेफर कर दिया। जानकी देवी के पति मुन्ना के मुताबिक, अस्पताल प्रबंधन ने तीन घंटे कागजी कार्रवाई में लगा दिए। कार्रवाई पूरी होने का इंतजार करने के दौरान ही जानकी की मौत हो गई। कुछ मामलों में तो परिजनों को शव ले जाने के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराया गया।