कानपुर रेल हादसे में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, रेलवे की खामियां और लापरवाही दोनों की पोल खुलती जा रही है। जांच में सामने आया है कि रेलवे अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही बरती, जिसकी वजह से इस हादसे में 150 लोगों की मौत हो गई। सबसे बड़ा पेंच फंसा अनफिट पटरियों और ट्रेन की हाई स्पीड को लेकर। हादसे वाले दिन ये बात साफ हो गई थी कि ट्रेन में कुछ तकनीकी दिक्कतें आ रही थीं। जिस जगह हादसा हुआ वहां पटरियां दुरस्त नहीं थी बावजूद इसके रेलवे अधिकारियों ने ड्राइवर को ट्रेन कानपुर लाने के आदेश दिए।
होनी चाहिए थी 30 की स्पीड, 110 किलोमीटर प्रति घंटा से दौड़ रही थी ट्रैन
इंदौर- राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस हादसे के बाद कई तरह के चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। सूत्रों का दावा है कि रेलवे की एक रिपोर्ट में झांसी से पनकी-कानपुर रेल ट्रैक को कई जगह अनफिट करार दिया गया था। साथ ही इन जगहों पर अधिकतम स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा रखने की सलाह दी गई थी। इसके बावजूद इंदौर- राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस यहां 110 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ाई गई। नतीजा आप सबके सामने है। अबतक 151 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे में 70 लोग घायल बताए जा रहे हैं इनमें से 50 की हालत गंभीर है।
सूत्रों के मुताबिक- अक्टूबर में द गई रिपोर्ट में रेलवे अफसरों ने झांसी-कानपुर के बीच सात प्वाइंट चिन्हित किए थे। जो ट्रेन की ज्यादा गति के अनुकूल नहीं थे। रिपोर्ट में खासतौर पर कहा गया था कि मलासा से भीमसेन आउटर केबिन के बीच स्पीड कम रखी जाए। आपको बता दें कि इंदौर- राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस इसी सेक्शन के बीच हादसे का शिकार हुई।
सवाल एक बार फिर यहीं खड़ा होता है कि आखिर कौन है इस हादसे का जिम्मेदार ? लापरवाही या अनदेखी ?