नई दिल्ली। मानवाधिकारों से जु़ड़े एनजीओ के एक समूह ने उत्तर प्रदेश के कैराना में कथित पलायन पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक हालिया रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और इससे ‘‘सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील’’ अंश को हटाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि तथ्यों में एक ‘‘अल्पसंख्यक समुदाय’’ की ‘‘अपराधी’’ के रूप में पहचान करना मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ितों के लिए ‘‘दोहरे जुल्म’’ के समान है।
अमन बिरादरी के हर्ष मंदर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम काफी परेशान और चकित हैं, क्योंकि यह रिपोर्ट संदिग्ध तथ्यों पर आधारित है और पूर्वाग्रहपूर्ण तथा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील धारणा बनाती है जिसमें दंगों के पीडितों पर ही दोषारोपण किया है, जबकि उनकी सुरक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए था।
मंदर के अलावा लखनउ स्थित सद्भावना ट्रस्ट से माधवी कुकरेजा, अफकार इंडिया से अकरम चौधरी, स्वतंत्र लेखक और कार्यकर्ता फराह नकवी तथा दंगों से प्रभावित और अभी कैराना में रह रहे दो लोगों ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।