बिहार में शराबबंदी पर अकेले पड़े नीतीश, जानिए क्यों

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बिहार में शराबबंदी

पटना:बिहार में शराबबंदी पर नीतीश अकेले पड़ गए हैं।शराबबंदी को लेकर उठाए कई फैसले विवादित होने के बाद गठबंधन ने भी सहयोग से किनारा कर लिया है। यहां तक कि आरजेडी के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने शराबबंदी के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा है।

शराबबंदी के लिए नीतीश का स्टाइल उनके गले की फांस बनता जा रहा है।शराबबंदी को हर हाल में लागू कराने के लिए नीतीश ने ऐसे तीन बड़े फैसले लिए जिसको लेकर विरोधी ही नहीं, उनके अपने भी उंगुली उठा रहे हैं. ऐसे में शराबबंदी को लेकर सरकार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। पहला तो ये कि शराबबंदी कराने में नाकाम रहने पर 11 थानेदारों को सस्पेंड कर दिया। दूसरा कैलाशपुरी गांव के 50 परिवारों पर सामूहिक जुर्माना लगाया। और तीसरा कि बिहार में शराबबंदी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल-डीजल महंगा कर दिया।

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गौरतलब है कि बिहार में नीतीश की जेडीयू और लालू की आरजेडी मिलकर सरकार चला रही है। आरजेडी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश के फैसलों पर सवाल उठाया है। रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश से बिहार में शराबबंदी कानून ही खत्म करने को कहा है।रघुवंश ने कहा कि जिस तरह से थानेदारों पर कारवाई की गयी है क्या ये न्याय है ? ऐसा कानून ना बने जो न्याय संगत ना हो। विरोधी भी नीतीश कुमार की शराबबंदी की तुलना आतंक राज से कर रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार शराबबंदी से डिगने को तैयार नहीं।

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एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश राज में आतंक है। उन्होंने कहा कि अगर घर में शराब मिलने पर घर के मुखिया की गिरफ्तारी हो रही है, तो फिर राज्य में इतनी जगहों पर शराब मिल रही है तो नीतीश की गिरफ्तारी होनी चाहिए। हालांकि नीतीश कुमार साफ कह रहे हैं कि शराब की बोतल बरामदगी पर किसी की जवाबदेही तय करनी होगी।

उधर आर्थिक जुर्माने की सजा पाने वाले नालंदा के कैलाशपुरी गांव के महादलित परिवारों ने नीतीश को चुनौती दे दी है। उनका कहना है कि जेल चले जाएंगे लेकिन जुर्माना नहीं देंगे। नीतीश कुमार ने कैबिनेट में मंत्रियों को बिठाकर शराबबंदी कानून तो पास करा लिया, लेकिन, नीतीश का कानून बिना पुलिस की मुस्तैदी से लागू होना मुमकिन नहीं।

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थानेदारों के निलंबन से भड़के थानेदार एक-एक करके सरकार को लिख रहे हैं कि हमे थानेदारी नहीं करनी। बिहार पुलिस एसोशिएशन ने 28 अगस्त को पटना में बैठक बुलाई है। डीजीपी को भी अल्टीमेटम दे दिया है कि निलंबन वापस नहीं हुआ तो साढ़े 8 हजार थानाअध्यक्ष और इंस्पेक्टर इस्तीफा दे देंगे।