नई दिल्ली। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दाखिल एक अर्जी पर मिले जवाब से खुलासा हुआ है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य से विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को वापस लेने के लिए कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं सौंपा है।
एक आरटीआई अर्जी के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि ‘‘अफ्सपा हटाने के लिए जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है।’’ मानवाधिकार कार्यकर्ता एम एम शूजा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी दाखिल कर जम्मू-कश्मीर से अफ्सपा हटाने की राज्य सरकार की मांग के बारे में सूचना मांगी थी।
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि अफ्सपा हटाने के मुद्दे पर समय-समय पर समीक्षा की गई है। मंत्रालय ने कहा कि ‘‘यह फैसला किया गया है कि जम्मू-कश्मीर से अफ्सपा हटाने के लिए यह उचित समय नहीं है।’’ अफ्सपा हटाने का मुद्दा सत्ताधारी पीडीपी और विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस दोनों का एजेंडा रहा है।
आरटीआई से मिले जवाब में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर से अफ्सपा हटाने का मुद्दा समाज के विभिन्न तबकों और कश्मीर घाटी के कई लोगों की तरफ से समय-समय पर उठाया गया है।
जवाब में कहा गया कि ‘‘उमर अब्दुल्ला (तत्कालीन मुख्यमंत्री) ने 14 नवंबर 2011 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री (पी चिदंबरम) के साथ हुई बैठक में इस मुद्दे को उठाया और पांच जून 2013 को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन के दौरान भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था।’’
बीते जुलाई में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि राज्य में हालात सुधारने के लिए कुछ इलाकों से अफ्सपा हटाया जाना चाहिए और इसकी शुरूआत 25-50 स्टेशनों से प्रयोग के तौर पर होनी चाहिए।
आपको बता दे कि नेशनल कांफ्रेंस 2008 से 2014 तक कांग्रेस के साथ जम्मू-कश्मीर की सत्ता में थी। पीडीपी 2014 से भाजपा के साथ गठबंधन बनाकर सत्ता में है।