नई दिल्ली। हरियाणा के पंचकुला में रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ मामले में हरियाणा के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौड़ को शुक्रवार(23 सितंबर) को काफी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा है, फिर भी उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि उन्हें दी गई 18 महीने की सजा को घटाकर कोर्ट ने करीब छह महीने का कर दिया, जिसे राठौर पहले ही जेल में काट चुके हैं। शीर्ष अदालत ने उनकी अधिक उम्र को ‘‘विशेष मामला’’ बताया।
वर्ष 2010 में जमानत पाने वाले राठौर (75 साल) 12 महीने की जेल की सजा से बच गए, लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया है। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 2010 में पारित उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें निचली अदालत द्वारा 15 साल की रूचिका गिरहोत्रा के छेड़छाड़ के मामले में राठौर को दोषी ठहराने और 18 महीने की सजा की पुष्टि की गई थी।
28 दिसंबर, 1993 को रुचिका ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली थी। इसी के तहत राठौर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और सरकार ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी। इससे पहले, एक सितंबर, 2010 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राठौर की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने खुद को दोषी ठहराए जाने और सजा की अवधि बढ़ाने के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा था कि उन्होंने जो हरकत की है वह किसी भी आला अधिकारी के लिए ‘‘शर्मनाक’’ है।