नई दिल्ली। पिछले साल जुलाई में हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में हिंसा को हवा दे रहे अलगाववादी संगठनों के रुख में नरमी आ गई है। नोटबंदी के बाद से कश्मीर में लगातार विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला कम हो रहा है।
इसकी बानगी अलगाववादियों की तरफ से विरोध-प्रदर्शन के लिए जारी नए कैलेंडर में देखी जा सकती है। अलगाववादियों ने अपने विरोध प्रदर्शन को केवल जुमे (शुक्रवार) तक ही सीमित कर लिया है और लोगों से गणतंत्र दिवस पर ‘काला दिवस’ मनाने को कहा है।
अपने विरोध प्रदर्शन के शनिवार(14 जनवरी) की देर रात जारी नए कार्यक्रम में कट्टरपंथी हुर्रियत के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी, नरमपंथी हुर्रियत के प्रमुख मीरवाइज उमर फारुक और जेकेएलएफ अध्यक्ष यासीन मलिक ने जनता से केवल शुक्रवार पर बंद रखने को कहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहले अलगाववादियों ने सप्ताह में 5 दिन विरोध प्रदर्शन का कैलेंडर जारी किया। फिर इसकी अवधि घटाकर 3 दिन कर दी गई और अब इसे केवल शुक्रवार तक सीमित कर दिया गया है।
































































