नई दिल्ली। केरल में सौम्या के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए गोविंदाचामी गुरुवार(15 सितंबर) को मौत की सजा से बच गया, सुप्रीम कोर्ट ने 23 वर्षीय सौम्या से बर्बर बलात्कार और उसकी हत्या करने के दोषी गोविंदाचामी की मौत की सजा को निरस्त कर दिया और उसके खिलाफ लगे हत्या के आरोपों को हटाकर उसे सात साल कैद की सजा सुनाई।
यह फैसला पीड़ित के परिवार के लिए हैरान करने वाला है और परिजनों ने इसे ‘‘दिल तोड़ने वाला’’ बताया तथा इस मामले में ‘‘सही ढंग से’’ पेश करने में राज्य के अभियोजक की ‘‘नाकामी’’ पर नाराजगी जताई।
शीर्ष अदालत ने 22 पेज के फैसले में गोविंदाचामी को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के आरोप से मुक्त किया। इस आरोप में अधिकतम सजा मृत्युदंड है। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी तरफ से पीड़ित की हत्या करने की कोई मंशा नहीं थी और वह केवल उसका यौन उत्पीडन करना चाहता था।
अदालत ने कहा कि स्टेशन के सामने एकांत स्थान पर धीमी रफ्तार की ट्रेन से गिरने के बाद जिस ‘‘बर्बर’’ और ‘‘जघन्य’’ तरीके से पीड़ित पर बलात्कार से पहले हमला किया गया, वह निचली अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा को बरकरार रखने को सही ठहराता है। इस सजा की केरल केरल हाई कोर्ट ने पुष्टि की थी।
आईपीसी की धारा 302 को हटाते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने उसे आईपीसी की धारा 325 के तहत गंभीर रूप से चोट पहुंचाने के अपराध के लिए दोषी ठहराया और सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जो आजीवन कारावास की सजा के साथ साथ चलेगी।
सौम्या की मां सुमति ने कहा कि वह अपनी बेटी को न्याय दिलाने की लड़ाई नहीं छोड़ेंगी और पुनरीक्षा याचिका दायर करेंगी। उधर राज्य सरकार ने भी कहा कि वह एक फरवरी 2011 के मामले में गोविंदाचामी की मौत की सजा को कम करने के फैसले की समीक्षा का अनुरोध करेगी।
अभियोजन के अनुसार घटना एक फरवरी 2011 को उस समय हुई जब कोच्चि में एक शॉपिंग मॉल में काम करने वाली सौमया एर्णाकुलम-शोरनपुर पैसेंजर ट्रेन के महिला डिब्बे में सफर कर रही थी। गोविंदाचामी ने उस पर हमला किया और धीमी गति से चल रही ट्रेन से उसे धक्का दे दिया। इसने कहा कि हमलावर भी ट्रेन से कूद गया और घायल पड़ी महिला को उठाकर वल्लातोल नगर में रेल पटरी के पास एक जंगल क्षेत्र में ले गया तथा वहां उससे बलात्कार किया।
चोटों के चलते छह फरवरी 2011 को राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल, त्रिशूर में सौम्या की मौत हो गई। अभियोजन ने यह भी रेखांकित किया कि गोविंदाचामी अपने गृहराज्य में पहले भी आठ मामलों में दोषी ठहराया जा चुका था।
फास्ट ट्रैक अदालत ने 2012 में गोविंदाचामी को आदतन अपराधी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी और कहा था कि बर्बर बलात्कार महिला की मौत के कारणों में से एक था तथा अपराध की प्रकृति बर्बर थी और इसने समाज को झकझोर कर रख दिया।
दो साल बाद हाई कोर्ट ने उसे सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी, जिसे उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।